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अग्निवीर को बचाने तेज धारा में कूदे लेफ्टिनेंट, शहीद हुए शशांक तिवारी कौन थे?

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भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने सिक्किम में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। 22 मई को वे उत्तरी सिक्किम में एक ऑपरेशनल टास्क के तहत रूट ओपनिंग पेट्रोल का नेतृत्व कर रहे थे। इस दौरान, एक लॉग ब्रिज से एक अग्निवीर का पैर फिसल गया और वह तेज बहाव वाली नदी में गिर गया। 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने बिना किसी हिचकिचाहट के नदी में छलांग लगा दी और अपने साथी को बहाव से बाहर निकाल लिया। हालांकि, इस साहसिक प्रयास में वे खुद नदी की धारा से नहीं बच सके और वीरगति को प्राप्त हो गए।

पुल से फिसला था स्टीफन सुब्बा का पैर
भारतीय सेना की सिक्किम स्काउट्स रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को 14 दिसंबर 2024 को सेना में कमीशन मिला था, यानी उन्हें सेना में शामिल हुए अभी छह महीने भी नहीं हुए थे। 22 मई को वे सिक्किम में एक टैक्टिकल ऑपरेटिंग बेस (TOB) की ओर जा रहे रूट ओपनिंग पेट्रोल दल का नेतृत्व कर रहे थे। यह पोस्ट भविष्य की तैनाती के लिए अहम मानी जा रही थी। सुबह करीब 11 बजे गश्त के दौरान दल का एक सदस्य, अग्निवीर स्टीफन सुब्बा, लकड़ी के पुल को पार करते समय फिसलकर पहाड़ी नदी की तेज धारा में बह गया।

बिना परवाह किए नदी में कूद पड़े शशांक तिवारी
स्टीफन को बहता देख लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपनी अद्भुत सूझबूझ, निस्वार्थ भावना और अपने साथियों के प्रति अटूट समर्पण दिखाते हुए बिना एक पल गंवाए तेज बहाव वाली नदी में छलांग लगा दी। उनके पीछे नायक पुकार कटेल भी तुरंत मदद के लिए कूदे। दोनों ने मिलकर अग्निवीर स्टीफन सुब्बा की जान बचा ली। लेकिन दुर्भाग्यवश, लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी खुद पानी के तेज बहाव में बह गए और शहीद हो गए।

सुबह मिला लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर
गश्त के दौरान लापता हुए लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को उनके साथी जवानों ने काफी तलाशा, लेकिन उन्हें जीवित नहीं पाया जा सका। अगली सुबह करीब 11:30 बजे उनका पार्थिव शरीर घटनास्थल से करीब 800 मीटर नीचे बरामद किया गया।
सेना ने लेफ्टिनेंट तिवारी की बहादुरी को भारतीय सेना के मूल मूल्यों—निस्वार्थ सेवा, ईमानदारी, प्रेरणादायक नेतृत्व और अधिकारियों तथा जवानों के बीच अटूट बंधन—का प्रतीक बताया, जो रैंक से परे होकर हर परिस्थिति में जीवित रहता है, चाहे वह युद्ध हो या शांति का समय।

सेना में शामिल हुए थे सिर्फ 6 महीने पहले
23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के मझवां गद्दोपुर गांव के निवासी थे। उनका पार्थिव शरीर आज देर रात उनके पैतृक गांव पहुंचेगा। परिवार में माता-पिता और एक बहन हैं।
साल 2019 में उन्होंने पहले ही प्रयास में NDA (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) की परीक्षा पास की थी। पढ़ाई में शुरू से होशियार रहे शशांक को 14 दिसंबर 2024 को भारतीय सेना में कमीशन मिला था। देश की सेवा करते हुए इतनी कम उम्र में उन्होंने सर्वोच्च बलिदान देकर पूरे राष्ट्र को गर्व से भर दिया।

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