Home » राष्ट्रीय » वॉशिंगटन पोस्ट ने सराहा ‘ऑपरेशन सिंदूर’, रिपोर्ट में कहा- पाकिस्तान को हुआ बड़ा नुकसान

वॉशिंगटन पोस्ट ने सराहा ‘ऑपरेशन सिंदूर’, रिपोर्ट में कहा- पाकिस्तान को हुआ बड़ा नुकसान

News Portal Development Companies In India

वॉशिंगटन: भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में कम से कम छह एयरफील्ड्स के रनवे और इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। यह खुलासा वॉशिंगटन पोस्ट की सैटेलाइट तस्वीरों और वीडियो विश्लेषण के आधार पर हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव के दौरान अब तक की सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई है।

बताया जा रहा है कि यह जवाबी हमला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद किया गया। भारतीय सशस्त्र बलों ने 6 और 7 मई की दरम्यानी रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।

पाकिस्तान में 160 किमी भीतर तक की कार्रवाई
वॉशिंगटन पोस्ट द्वारा 24 से अधिक सैटेलाइट तस्वीरों और हमले के बाद के वीडियो का विश्लेषण करने के बाद यह सामने आया है कि भारत की सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान के तीन हैंगर, दो रनवे और वायुसेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दो मोबाइल इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि इनमें से कुछ ठिकाने पाकिस्तान की सरहद के भीतर लगभग 160 किलोमीटर (करीब 100 मील) अंदर स्थित थे।
लंदन के किंग्स कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के वरिष्ठ लेक्चरर और दक्षिण एशिया मामलों के सुरक्षा विशेषज्ञ वाल्टर लैडविग ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा, “यह हमला 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान के सैन्य ढांचे पर भारत की सबसे बड़ी हवाई कार्रवाई है।”

पाकिस्तान ने माना सैन्य ठिकानों को नुकसान
कॉन्टेस्टेड ग्राउंड प्रोजेक्ट के भू-स्थानिक विश्लेषक विलियम गुडहिंड के मुताबिक, “हमले उच्च स्तरीय और रणनीतिक ठिकानों पर सटीकता से किए गए, जिनका मकसद पाकिस्तान की आक्रामक और रक्षात्मक हवाई क्षमता को कमजोर करना था।” भारत ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तान में कुल 11 ठिकानों को निशाना बनाया और इसे ‘संतुलित और योजनाबद्ध’ कार्रवाई बताया।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में जिन ठिकानों को क्षतिग्रस्त बताया गया है, वे भी भारत के इसी दावे का हिस्सा हैं। पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने प्रेस को बताया कि कुछ सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि उन्होंने इनकी संख्या स्पष्ट नहीं की।

नूर खान एयरबेस पर दो मोबाइल कंट्रोल सेंटर तबाह
अल्बानी यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर और भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता पर लिखी किताब के लेखक क्रिस्टोफर क्लेरी ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया, “सैटेलाइट सबूत यह संकेत देते हैं कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान वायुसेना के कई अहम ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, हालांकि यह पूरी तरह विनाशकारी नहीं कहा जा सकता।”
भू-स्थानिक विश्लेषक विलियम गुडहिंड के मुताबिक, रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर दो मोबाइल कंट्रोल सेंटर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। पास के एक पार्किंग क्षेत्र से लिए गए वीडियो में हमले के बाद उठता धुआं स्पष्ट देखा जा सकता है।

भोलारी और शाहबाज एयरबेस पर भी भारी नुकसान
नूर खान एयरबेस पाकिस्तान का एक प्रमुख सैन्य ठिकाना है, जो देश की स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन के बेहद करीब स्थित है—यह वही इकाई है जो पाकिस्तान के करीब 170 परमाणु हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इसी इलाके में पाकिस्तान का सैन्य मुख्यालय और जॉइंट स्टाफ हेडक्वार्टर भी स्थित है।
एक सैन्य शोधकर्ता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इस प्रकार का हमला देश के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को निशाना बनाने की कोशिश माना जा सकता है।
सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, भोलारी और शाहबाज एयरबेस पर भी भारी तबाही हुई है, जहां विमान हैंगर के तौर पर इस्तेमाल की जा रही इमारतों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

शाहबाज एयरबेस पर 100 फीट चौड़ा बड़ा छेद
भोलारी एयरबेस पर एक हैंगर की छत में करीब 60 फीट चौड़ा छेद पाया गया, जो मिसाइल हमले के असर से मेल खाता है। आसपास मलबा फैला हुआ था और एक दीवार पास की इमारत पर गिर गई थी। एक सैन्य शोधकर्ता के अनुसार, इस हैंगर में साब 2000 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&C) विमान रखा जाता है, जिसकी कीमत करोड़ों डॉलर में होती है।
शाहबाज एयरबेस पर एक और बड़ा हमला हुआ, जहां एक हैंगर में 100 फीट से अधिक चौड़ा छेद देखा गया, जो विशेष रूप से सैन्य उपयोग के लिए था। इसके अलावा, एक कंट्रोल टावर को भी नुकसान पहुंचा।
विश्लेषक विलियम गुडहिंड के मुताबिक, एक अन्य हैंगर पूरी तरह ढह गया और सुक्कुर एयरबेस पर एक रडार साइट नष्ट हुई, जो नागरिक और सैन्य—दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाई जाती थी।

शेख जायद एयरपोर्ट का रॉयल लाउंज भी चपेट में
मुशाफ एयरफील्ड और शेख जायद इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे पर भीषण हमलों के चलते बड़े-बड़े गड्ढे बन गए। प्लैनेट और मैक्सार सैटेलाइट फर्मों की तस्वीरों में देखा गया कि मुशाफ एयरबेस पर गड्ढों की मरम्मत अगले ही दिन शुरू कर दी गई थी।
पाकिस्तानी सेना ने स्वीकार किया कि भोलारी में 5 और मुशाफ में एक वायुसेना कर्मी की मौत हुई है।
वॉशिंगटन पोस्ट ने पाकिस्तानी अखबार डॉन के हवाले से बताया कि शेख जायद एयरपोर्ट का रॉयल लाउंज भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।
लंदन स्थित विशेषज्ञ वाल्टर लैडविग का कहना है, “पाकिस्तान के इतने सारे सैन्य ठिकानों को एक साथ निशाना बनाना भारत की रणनीति में एक सोच-समझा बड़ा बदलाव है।”

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में 100 से ज्यादा आतंकियों का किया सफाया
विशेषज्ञ वाल्टर लैडविग के अनुसार, पहले भारत अपनी एयरस्ट्राइक्स को केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) या सीमित दूरदराज के इलाकों तक सीमित रखता था। लेकिन अब भारत आतंकवादी हमलों के जवाब में पारंपरिक सैन्य कार्रवाई को भी अपनाने लगा है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत और कई घायल हुए थे। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया, जिसके तहत पाकिस्तान और PoK में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन (HM) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया गया।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ बना आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति
हमले के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार गोलाबारी और ड्रोन हमलों की कोशिश की, लेकिन भारत ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के कई एयरफील्ड्स पर रडार सिस्टम, संचार केंद्र और हवाई ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया।
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम (सीजफायर) पर सहमति बनी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने बयान में कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नया मील का पत्थर है और यह अब भारत की रणनीति का ‘न्यू नॉर्मल’ बन गया है। उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद अब यह ऑपरेशन आतंक के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति का प्रतीक है।

Leave a Comment

Modi 3.0 के पहले आम बजट से मिडिल क्लास को मिलेगी राहत?