



ताजिकिस्तान: भारत द्वारा सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान किस तरह बेचैन और लाचार नजर आ रहा है, इसका ताजा उदाहरण ताजिकिस्तान में देखने को मिला। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के कदम की तुलना गाजा के जल संकट से करते हुए इसे पाकिस्तान के लिए गंभीर संकट बताया। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि पाकिस्तान भारत को ‘रेड लाइन’ पार नहीं करने देगा।
गौरतलब है कि हाल ही में ताजिकिस्तान दौरे पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गाजा संकट का हवाला देते हुए भारत पर निशाना साधा। पानी की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत बयान करते हुए शहबाज शरीफ ने ताजिकिस्तान में मौजूद विश्व नेताओं के सामने भावुक अपील की। उन्होंने सिंधु जल न मिलने से पाकिस्तान में उत्पन्न हालात की तुलना गाजा के जल संकट से करते हुए कहा कि जैसे गाजा में पानी को हथियार बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है, ठीक वैसे ही भारत भी सिंधु जल को पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
पाकिस्तान क्यों दे रहा गीदड़भभकी?
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के हालिया बयान से साफ है कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित किया जाना इस्लामाबाद के लिए करारा झटका साबित हुआ है। अब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पानी के लिए गुहार लगाता नजर आ रहा है, ताकि वैश्विक नेता उसकी आतंकी गतिविधियों को नजरअंदाज कर उसे एक पीड़ित देश के रूप में दिखाएं और भारत पर दबाव डालें कि वह पानी छोड़े। लेकिन शहबाज शरीफ शायद यह भूल रहे हैं कि भारत एक संप्रभु देश है जो अपने हितों के अनुसार फैसले लेना जानता है।
अब आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने क्या कहा—
शरीफ ने अपने बयान में आरोप लगाया, “भारत सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले पानी को रोककर या उसके प्रवाह को नियंत्रित कर उसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। यह एक गंभीर मामला है और पाकिस्तान इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।” उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि के उल्लंघन पर कोई समझौता नहीं करेगा और भारत को इस संधि की “रेड लाइन” पार नहीं करने देगा।
सिंधु जल समझौता कब हुआ था?
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। यह संधि दोनों देशों के बीच जल वितरण को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता मानी जाती है। भारत ने सद्भावना के तहत इस समझौते पर सहमति जताई और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के पानी का एक बड़ा हिस्सा देना स्वीकार किया।
हालांकि, इसके बावजूद पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता आ रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा है—अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब अपने राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।