



संयुक्त राष्ट्र: भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर संयुक्त राष्ट्र में बड़ा बयान जारी किया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के कथन “खून और पानी अब साथ नहीं बहेंगे” को आधार बनाया गया है। भारत ने सिंधु जल समझौता तोड़ने की पूरी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर डाली है। यूएन में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ हो रहे दुष्प्रचारों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तीन युद्ध और हजारों आतंकवादी हमले कर इस संधि की भावना का खुलेआम उल्लंघन किया है। पाकिस्तान द्वारा किए गए इन आतंकवादी हमलों में भारतीय नागरिकों का खून बहाया गया है, इसलिए ऐसे देश को सिंधु जल नहीं दिया जा सकता।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने शुक्रवार को कहा, “हम सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल द्वारा फैलायी जा रही गलत सूचनाओं का जवाब देना जरूरी समझते हैं। भारत, जो नदी के ऊपरी तट वाला देश है, हमेशा जिम्मेदारी के साथ इस समझौते का पालन करता आया है।” हरीश ने यह बात स्लोवेनिया के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कही, जिसका विषय था ‘सशस्त्र संघर्ष के बीच जल सुरक्षा — आम नागरिकों के जीवन की रक्षा’।
65 वर्षों से पाकिस्तान कर रहा है सद्भावना पर हमला
संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान पिछले 65 सालों से सिंधु जल समझौते की मूल सद्भावना को लगातार चोट पहुंचा रहा है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। हरीश ने बताया कि यह संधि 65 साल पहले सद्भावना और मैत्री की भावना के साथ की गई थी, लेकिन इन वर्षों में पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध और हजारों आतंकवादी हमले करके इस संधि की भावना का उल्लंघन किया है।
पाकिस्तान के आतंकवादी हमलों में हुई 20 हजार से अधिक मौतें
हरीश ने रेखांकित किया कि पिछले चार दशकों में पाकिस्तान की ओर से किए गए आतंकवादी हमलों में 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें से सबसे हालिया हमला पहलगाम में पर्यटकों पर हुआ नृशंस आतंकी हमला था। उन्होंने कहा कि भारत ने इस पूरे समय में असाधारण धैर्य और उदारता का प्रदर्शन किया है, बावजूद इसके पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के जरिए आम नागरिकों के जीवन, धार्मिक सद्भाव और आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाने की कोशिश जारी रही है।
हरीश ने यह भी बताया कि भारत ने पिछले दो वर्षों में कई बार पाकिस्तान से इस संधि में संशोधन पर चर्चा के लिए औपचारिक तौर पर संपर्क किया, लेकिन इस्लामाबाद ने हर बार इनकार किया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान का यह बाधक रवैया भारत के वैध अधिकारों के पूरा उपयोग में बाधा डालता है।”
पाकिस्तान के नापाक इरादों के कारण भारत ने बदला रणनीति
राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पिछले 65 वर्षों में न केवल सीमा पार आतंकवादी हमलों की वजह से सुरक्षा चिंताएं बढ़ीं हैं, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में हो रहे बदलावों की वजह से भी दूरगामी मूलभूत परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने बताया कि बांधों के बुनियादी ढांचे में तकनीकी सुधार किए गए हैं ताकि पानी के उपयोग और संचालन की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। वहीं, कुछ पुराने बांधों को लेकर गंभीर सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी हैं।
हरीश ने कहा कि पाकिस्तान ने इस बुनियादी ढांचे में संधि के तहत आवश्यक किसी भी बदलाव या संशोधन को लगातार रोकते हुए बाधा डाली है। उन्होंने याद दिलाया कि 2012 में आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में तुलबुल नौवहन परियोजना पर भी हमला किया था, जो हमारे प्रोजेक्ट्स और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
इस पृष्ठभूमि में भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समाप्त नहीं करता, तब तक 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जाएगा।
पाकिस्तान ने बार-बार किया सिंधु जल संधि का उल्लंघन
भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश ने स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि का उल्लंघन लगातार पाकिस्तान ही कर रहा है। इससे पहले, उन्होंने ‘सशस्त्र संघर्ष के दौरान आम नागरिकों की सुरक्षा’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। हरीश ने पाकिस्तान के ‘‘घोर पाखंड’’ की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वह देश जो आतंकवादियों और आम नागरिकों में कोई फर्क नहीं करता, उसके पास आम नागरिकों की सुरक्षा की बात करने का कोई अधिकार नहीं है। (भाषा)