



पोप फ्रांसिस का निधन: अब होगा नए पोप का चयन, 4 भारतीय कार्डिनल लेंगे हिस्सा – जानिए पूरी प्रक्रिया
रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे और हाल ही में डबल निमोनिया के चलते 38 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।
वेटिकन में शोक और परंपरा
पोप के निधन के बाद वेटिकन में नौ दिवसीय शोक मनाया जा रहा है, जिसे नोवेन्डियाल कहा जाता है। यह एक प्राचीन रोमन परंपरा है, जो आज भी रोमन कैथोलिक चर्च में निभाई जाती है। इस अवधि के दौरान, नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
कैसे होता है नए पोप का चुनाव?
नोवेन्डियाल के बाद, दुनिया भर के कार्डिनल्स को वेटिकन बुलाया जाता है। इस प्रक्रिया को कॉनक्लेव कहा जाता है, जहां कार्डिनल्स गुप्त मतदान के जरिए नए पोप का चुनाव करते हैं।
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15 से 20 दिनों के भीतर यह सम्मेलन अनिवार्य रूप से होना चाहिए, हालांकि सभी कार्डिनल्स की सहमति से इसे पहले भी शुरू किया जा सकता है।
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हर मतदान सत्र के बाद मतपत्रों को एक विशेष चूल्हे में जलाया जाता है।
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काला धुआं निकलने का अर्थ है कि कोई निर्णय नहीं हुआ।
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सफेद धुआं निकलने का मतलब है कि नया पोप चुन लिया गया है।
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कौन हो सकता है अगला पोप?
तकनीकी रूप से कोई भी रोमन कैथोलिक पुरुष जिसने बप्तिस्मा (पवित्र स्नान) लिया हो, पोप बन सकता है। लेकिन 1378 के बाद से परंपरा यही रही है कि पोप केवल कार्डिनल्स में से ही चुना जाता है।
इस बार भारत से कौन हैं चयन प्रक्रिया में?
इस बार चार भारतीय कार्डिनल्स भी नए पोप के चुनाव में मतदान करेंगे:
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कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ (72) – गोवा एवं दमन के मेट्रोपॉलिटन आर्कबिशप
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कार्डिनल बेसलिओज क्लीमिज (65) – त्रिवेंद्रम के सीरो-मलंकारा मेजर आर्कबिशप
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कार्डिनल एंथोनी पूला (63) – हैदराबाद के मेट्रोपॉलिटन आर्कबिशप
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कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड (51) – केरल
कौन थे पोप फ्रांसिस?
पोप फ्रांसिस का असली नाम जार्ज मारियो बर्गोग्लियो था। वे अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में एक इटालियन प्रवासी परिवार में 17 दिसंबर 1936 को जन्मे थे।
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उन्होंने केमिकल टेक्नीशियन की पढ़ाई की और बाद में पादरी बनने का रास्ता चुना।
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1969 में उन्हें पादरी नियुक्त किया गया और 13 मार्च 2013 को वे 266वें पोप बने।
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वे अमीरों की आलोचना और गरीबों के समर्थन के लिए पहचाने जाते थे।
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उन्होंने चर्च की नीतियों में कई बदलाव किए, जैसे मृत्युदंड और परमाणु हथियारों के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाना।
पोप जान पॉल द्वितीय के बाद पोप फ्रांसिस ऐसे पहले पोप बने जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हुआ है।
अब पूरी दुनिया की नजर वेटिकन पर टिकी है, जहां अगले कुछ हफ्तों में नए आध्यात्मिक नेता का चुनाव किया जाएगा।