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दिल्ली में वासुदेव घाट पर यमुना आरती का शुभारंभ, सीएम रेखा समेत सभी मंत्री रहे मौजूद

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दिल्ली
दिल्ली में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वासुदेव घाट पर यमुना आरती का भव्य आयोजन शुरू हो गया है। इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा समेत दिल्ली सरकार के सभी मंत्री उपस्थित रहे। इस आरती का मुख्य उद्देश्य यमुना नदी के संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देना है, साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को विकसित करना भी है। यमुना आरती का महत्व दिल्ली में यमुना नदी का विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इस आरती को वाराणसी की गंगा आरती की तर्ज पर विकसित किया गया है, ताकि राजधानी में भी आध्यात्मिकता और पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। यमुना आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि नदी संरक्षण और जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। आरती में विशेष आकर्षण भव्य दीपमालिका – वासुदेव घाट पर सैकड़ों दीप जलाए गए, जिससे वातावरण रोशनी और श्रद्धा से भर गया। वैदिक मंत्रोच्चार – वेदपाठियों द्वारा गूंजते मंत्रों से माहौल भक्तिमय हो गया। संगीतमय भजन – आरती के दौरान भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। नदी संरक्षण संदेश – यमुना की स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। सांस्कृतिक प्रस्तुति – लोक कलाकारों द्वारा विशेष नृत्य और भजन प्रस्तुत किए गए। मुख्यमंत्री रेखा का संबोधन मुख्यमंत्री रेखा ने अपने संबोधन में कहा कि यमुना आरती दिल्ली की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है। उन्होंने जनता से अपील की कि यमुना को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार के साथ सहयोग करें। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि यमुना आरती को हर दिन आयोजित किया जाएगा, जिससे यह एक नियमित आध्यात्मिक परंपरा का रूप ले सके। यमुना आरती से होने वाले फायदे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा – दिल्ली आने वाले पर्यटक अब यमुना आरती का आनंद ले सकेंगे, जिससे स्थानीय व्यापार को भी लाभ मिलेगा। यमुना नदी की स्वच्छता – इस आयोजन से यमुना सफाई अभियानों को बढ़ावा मिलेगा और लोग नदी को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक होंगे। संस्कृति और परंपरा का संरक्षण – यह आयोजन दिल्ली की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। आर्थिक विकास – धार्मिक आयोजनों से स्थानीय विक्रेताओं, दुकानदारों और टूरिज्म सेक्टर को आर्थिक लाभ होगा। सामाजिक समरसता – सभी धर्मों और समुदायों के लोग इस आरती में भाग ले सकते हैं, जिससे भाईचारा और सामाजिक समरसता बढ़ेगी।

दिल्ली में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वासुदेव घाट पर यमुना आरती का भव्य आयोजन शुरू हो गया है। इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा समेत दिल्ली सरकार के सभी मंत्री उपस्थित रहे। इस आरती का मुख्य उद्देश्य यमुना नदी के संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देना है, साथ ही धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को विकसित करना भी है।

यमुना आरती का महत्व

दिल्ली में यमुना नदी का विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इस आरती को वाराणसी की गंगा आरती की तर्ज पर विकसित किया गया है, ताकि राजधानी में भी आध्यात्मिकता और पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। यमुना आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि नदी संरक्षण और जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है।

आरती में विशेष आकर्षण

  1. भव्य दीपमालिका – वासुदेव घाट पर सैकड़ों दीप जलाए गए, जिससे वातावरण रोशनी और श्रद्धा से भर गया।
  2. वैदिक मंत्रोच्चार – वेदपाठियों द्वारा गूंजते मंत्रों से माहौल भक्तिमय हो गया।
  3. संगीतमय भजन – आरती के दौरान भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ।
  4. नदी संरक्षण संदेश – यमुना की स्वच्छता बनाए रखने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया।
  5. सांस्कृतिक प्रस्तुति – लोक कलाकारों द्वारा विशेष नृत्य और भजन प्रस्तुत किए गए।

मुख्यमंत्री रेखा का संबोधन

मुख्यमंत्री रेखा ने अपने संबोधन में कहा कि यमुना आरती दिल्ली की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने का एक प्रयास है। उन्होंने जनता से अपील की कि यमुना को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सरकार के साथ सहयोग करें। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि यमुना आरती को हर दिन आयोजित किया जाएगा, जिससे यह एक नियमित आध्यात्मिक परंपरा का रूप ले सके।

यमुना आरती से होने वाले फायदे

  1. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा – दिल्ली आने वाले पर्यटक अब यमुना आरती का आनंद ले सकेंगे, जिससे स्थानीय व्यापार को भी लाभ मिलेगा।
  2. यमुना नदी की स्वच्छता – इस आयोजन से यमुना सफाई अभियानों को बढ़ावा मिलेगा और लोग नदी को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक होंगे।
  3. संस्कृति और परंपरा का संरक्षण – यह आयोजन दिल्ली की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  4. आर्थिक विकास – धार्मिक आयोजनों से स्थानीय विक्रेताओं, दुकानदारों और टूरिज्म सेक्टर को आर्थिक लाभ होगा।
  5. सामाजिक समरसता – सभी धर्मों और समुदायों के लोग इस आरती में भाग ले सकते हैं, जिससे भाईचारा और सामाजिक समरसता बढ़ेगी।

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