



भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक ऐतिहासिक पहल की गई है। इस खास मौके पर राष्ट्रपति ने संस्कृत और मैथिली भाषा में संविधान का विमोचन किया। यह कदम भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को सम्मान देने और संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
भारतीय संविधान: विविध भाषाओं का प्रतीक
संविधान को संस्कृत और मैथिली में प्रकाशित करने का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें संरक्षित करना है। यह कदम न केवल भारतीय नागरिकों को उनकी मातृभाषा में संविधान पढ़ने का अवसर देगा, बल्कि संविधान के मूल उद्देश्य “एकता में विविधता” को भी दर्शाता है।
संस्कृत और मैथिली का महत्व
संस्कृत, भारतीय परंपरा और संस्कृति की आधारशिला है, जबकि मैथिली बिहार और झारखंड के लोगों की पहचान है। संविधान का इन भाषाओं में विमोचन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय भाषाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
ऐतिहासिक पहल का असर
इस ऐतिहासिक पहल से संविधान के अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा, खासकर उन लोगों के लिए जो संस्कृत या मैथिली भाषाओं में इसे पढ़ना चाहते हैं। इसके साथ ही, यह कदम युवाओं में भारतीय भाषाओं के प्रति गर्व की भावना को और प्रोत्साहित करेगा।