



अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों द्वारा आतंकियों के शवों का गुप्त स्थानों पर अंतिम संस्कार करने की नीति लंबे समय से चर्चित है। इस नीति का पालन खासतौर पर उन आतंकवादियों के लिए किया गया है जो बड़े पैमाने पर आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। ओसामा बिन लादेन और अबु बक्र अल-बगदादी जैसे कुख्यात आतंकियों के मामलों में, इनके शवों को समुद्र में दफन किया गया, जिससे उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद या प्रतीक के रूप में न अपनाया जा सके।
आतंकवादियों के शवों को अज्ञात स्थानों पर दफन करने के प्रमुख कारण
- समर्थकों से बचाव: ऐसे आतंकियों के समर्थक उनके शव को एक प्रतीक या श्रद्धांजलि स्थल के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आतंकवाद को और भड़का सकता है। शवों का गुप्त रूप से निपटान इस संभावना को समाप्त करता है।
- शहीद का दर्जा न देना: आतंकियों को धार्मिक या राजनीतिक कारणों से शहीद का दर्जा मिलना उनके समर्थकों के लिए प्रेरणादायक हो सकता है। गुप्त अंतिम संस्कार से ऐसे किसी भी प्रयास को विफल किया जा सकता है।
- सुरक्षा कारण: आतंकियों की कब्रें आतंकवादी गतिविधियों के लिए भौतिक स्थल बन सकती हैं, जहां हिंसा या अशांति भड़क सकती है। ऐसे में गुप्त स्थान या समुद्र में शव को दफनाना एक सुरक्षित विकल्प होता है।
ओसामा बिन लादेन और अबु बक्र अल-बगदादी का उदाहरण
ओसामा बिन लादेन, जो अल-कायदा के प्रमुख थे, को 2011 में अमेरिका के विशेष ऑपरेशन में मारा गया। उसके बाद, उनके शव को समुद्र में इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफन कर दिया गया। ऐसा करने का प्रमुख कारण यह था कि लादेन के शव का किसी भी प्रकार से इस्तेमाल न हो सके और उसका समर्थक आधार उसे एक शहीद न माने।
इसी प्रकार, 2019 में इस्लामिक स्टेट के नेता अबु बक्र अल-बगदादी की मौत के बाद भी उनके शव को गुप्त तरीके से समुद्र में दफनाया गया। बगदादी के शव के साथ भी वही कारण जुड़े थे—समर्थकों के लिए एक प्रतीकात्मक स्थल का न बनना और आतंकवाद के प्रसार को रोकना।
समुद्र में दफनाने की प्रक्रिया
समुद्र में दफनाने का एक और प्रमुख कारण अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन है। ऐसा करने से न केवल आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले प्रतीकों को रोका जाता है, बल्कि यह धार्मिक रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए भी किया जाता है। यह एक ऐसा तरीका है जो विश्व समुदाय के बीच सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है।