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इस बार बुद्ध पूर्णिमा अगले चीफ जस्टिस बीआर गवई के लिए क्यों है खास?

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बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा

जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के अलगे सीजेआई होने जा रहे हैं. जस्टिस गवई देश के पहले ऐसे मुख्य न्यायधीश होंगे जो बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट में जज बने. और अब करीब 6 साल यहां बिताने के बाद देश के मुख्य न्यायधीश बनने जा रहे हैं.

देश के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने पिछले साल 11 नवंबर को पद संभाला था. करीब 6 महीने देश के सीजेआई रहने और इस दौरान प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ संशोधन कानून जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई के बाद वे 13 मई को रिटायर होने जा रहे हैं. जस्टिस खन्ना के बाद अब देश के अगले सीजेआई बीआर गवई होंगे. जस्टिस गवई 14 मई को जब देश के सीजेआई की शपथ लेंगे तो वे बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले देश के पहले मुख्य न्यायधीश होंगे. आज बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर राजधानी दिल्ली में मौजूद शांति स्तूप जाने का भी उनका कार्यक्रम रहा.

जस्टिस गवई के पिता – आरएस गवई उन 4 लाख लोगों में से एक थे, जिन्होंने 1956 में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया था. जस्टिस गवई का कार्यकाल 24 नवंबर तक यानी अगले 6 महीने के लिए होगा. नवंबर 1960 में महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई नोटबंदी, अनुच्छेद 370, एससी-एसटी रिजर्वेशन में कोटे में कोटा की संवैधानिकता, प्रशांत भूषण अवमानना मामला, बुलडोजर मामले में फैसला सुनाने वाले जजों की बेच में शामिल रहे. जस्टिस गवई उस संवैधानिक पीठ का भी हिस्सा थे जिसने मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दिया था.

जस्टिस गवई का न्यायिक सफर

जस्टिस गवई ने 17 मार्च 1985 से वकालत शुरू किया था. 1987 तक जस्टिस गवई ने हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल एस. भोंसले के साथ काम किया. फिर बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से 1987 से 1990 के बीच काम किया. 1990 के बाद जस्टिस गवई बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत करते रहे. संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून में उनको महारत हासिल रहा. 2003 में इन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज का पदभार संभाला. और फिर नवंबर 2005 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थाई जज हो गए.

इसके बाद जस्टिस गवई ने बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर, औरंगाबाद और पणजी समेत सभी पीठ के जज के लिए काम किया. जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट मे आए. और अब करीब 6 साल सुप्रीम कोर्ट में बिताने के बाद वे देश के मुख्य न्यायधीश बनने जा रहे हैं. पिछले 6 साल में जस्टिस गवई 600 से ज्यादा पीठ के हिस्सा रहे हैं. इस दौरान, संवैधानिक-प्रशासनिक कानून से लेकर आपराधिक कानून, शिक्षा, बिजली से लेकर पर्यावरण के मामलों को इन्होेंने देखा है. सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज जस्टिस गवई ने 300 फैसले लिखे.

जस्टिस गवई ने मंगोलिया के उलानबटार, अमेरिका के न्यूयॉर्क, युके के कार्डिफ, केन्या के नैरोबी समेत और कई जगहों पर अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस गवई ने संवैधानिक से लेकर पर्यावरण के मामलों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों और संगठनों में लेक्चर भी दिए हैं. जिनमें कोलंबिया विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय काफी अहम हैं. जस्टिस बीआर गवई का कार्यकाल इसी साल के आखिर में, ठीक-ठीक कहा जाए तो 23 नवंबर 2025 को पूरा होगा.

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