



पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान कांप रहा है. उसे डर सता रहा है कि भारत कभी भी उसपर हमला कर सकता है. पाकिस्तान के खौफ की वजह भी है क्योंकि भारत कब और कहां से उसपर हमला करेगा इसकी उसको भनक भी नहीं होगी. इसमें भारत का वो गुप्त हथियार भी है जो विदेश में मौजूद है.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. भारत जहां पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने को आतुर है तो वहीं पाकिस्तान गीदड़भभकी दे रहा है. शहबाज शरीफ और उनके मंत्री बता रहे हैं कि भारत कभी भी हमला कर सकता है. पाकिस्तान का ये खौफ बनता भी है, क्योंकि उसे पता है कि भारत किस हद तक उसको चोट पहुंचा सकता है. पाकिस्तान पर कब और कहां से हमला होगा, ये भारतीय सेना तय करेगी. पाकिस्तान को तबाह करने के लिए भारत के पास विदेश में एक गुप्त हथियार भी है, जिसका इस्तेमाल करके वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर सकता है.
कौन सी है वो जगह?
ये जगह है ताजिकिस्तान का अयनी एयरबेस. इस एयरबेस को रणनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जाता है और PoK से 600 किमी की दूरी पर है. भारत ने पिछले करीब तीस सालों से ताजिकिस्तान में अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखी है. 1990 के दशक में उसने अफगानिस्तान की सीमा के करीब दक्षिणी ताजिकिस्तान के फरखोर क्षेत्र में एक सैन्य अस्पताल बनाया था.
इस दौरान अफगानिस्तान गृहयुद्ध से गुजर रहा था. सोवियत सेनाएं वापस चली गई थीं और अफगानिस्तान खूनी गृहयुद्ध के दौर में प्रवेश कर गया था. दक्षिणी और पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान और ताजिकिस्तान की सीमा के नजदीक उत्तरी अफगानिस्तान में उत्तरी गठबंधन सेनाएं हावी थीं. इस दौरान भारत ने उत्तरी गठबंधन का समर्थन किया, जिसका नेतृत्व अफगान नेता स्वर्गीय अहमद शाह मसूद ने किया था.
इसी सैन्य अस्पताल में मसूद को इलाज के लिए लाया गया था, जब 9 सितंबर 2001 को एक आत्मघाती हमलावर ने उनके पास खुद को उड़ा लिया था. हालांकि, सैन्य डॉक्टर मसूद को बचा नहीं सके. ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे के पश्चिम में स्थित अयनी एयरबेस उत्तरी अफगानिस्तान सीमा से 150 किमी से भी कम दूरी पर है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तत्कालीन वाजपेयी सरकार और रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इस प्रोजेक्ट का पुरजोर समर्थन किया था. वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने भी इस बेस की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी, जिसे विदेश मंत्रालय ने फंड किया था.
भारत ने अयनी एयरबेस के विकास पर 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं. कुछ रिपोर्टों के अनुसार भारत ने इस बेस पर अस्थायी रूप से अपने Su-30MKI लड़ाकू विमान भी तैनात किए हैं.
जब भारत ने किया था इस एयरबेस का इस्तेमाल
भारत इस एयरबेस का इस्तेमाल कर भी चुका है. अगस्त, 2021 में जब अमेरिका अफगानिस्तान से वापस जा रहा था और तालिबान ने तेजी से काबुल पर कब्जा कर लिया था, भारत के सामने अपने सैकड़ों नागरिकों और राजनयिकों को काबुल से निकालने की चुनौती थी. उन मुश्किल समय में यनी एयरबेस काम आया. नई दिल्ली ने काबुल से अपने नागरिकों को निकालने के लिए अयनी एयरबेस से भारतीय वायु सेना के सी-17 और सी-130 जे विमान ऑपरेट किए. सी-130 जे विमान ने काबुल से 87 भारतीयों को निकाला और ताजिकिस्तान में उतारा.
वर्तमान हालात में अयनी एयरबेस भारत के लिए कई रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है. कम से कम ताजिकिस्तान में भारतीय एयरबेस की मौजूदगी ही पाकिस्तान को अपनी रणनीति को फिर से तय करने और अपनी कुछ वायु रक्षा प्रणालियों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को पूर्वी मोर्चे से उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर पुनर्वितरित करने के लिए मजबूर कर सकती है.
भारत इस बेस से पाकिस्तान में खुफिया जानकारी जुटा सकता है. पेशावर इस बेस से सिर्फ 500 किलोमीटर दूर है, जबकि इस्लामाबाद और पीओके लगभग 600 किलोमीटर दूर हैं. हालांकि भारतीय विमानों को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र तक पहुंचने के लिए अफगानिस्तान को पार करना होगा. चूंकि अफगानिस्तान में कोई अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली नहीं है, इसलिए भारतीय विमान आसानी से यह काम कर सकते हैं.
दूसरा विकल्प यह है कि भारत वाखान कॉरिडोर से पीओके में प्रवेश करे, जो पीओके और दक्षिणी ताजिकिस्तान के बीच एक नो-मैन्स लैंड है. इस मार्ग पर भारत को किसी प्रतिरोध का सामना करने की संभावना बहुत कम है. भारत अपने पायलटों और महंगे लड़ाकू विमानों के लिए जोखिम को कम करने के लिए इन कार्यों के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर सकता है.