



जाति जनगणना कराने की केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी के बाद विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। उसके हाथ से बड़ा मुद्दा फिसल गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्ष के पास भाजपा को घेरने का यह सशक्त मुद्दा था। लोकसभा चुनाव में इसका असर भी दिखा। भाजपा की सीटें 240 पर आ गईं तो विपक्ष की सीटें 232 पर पहुंच गई थीं। बिहार विधानसभा चुनाव में भी इसे भुनाने की विपक्ष की तैयारी थी।
पटना: जाति जनगणना के सवाल पर आखिरकार केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। पहले केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने तकनीकी पेच का हवाला दिया था। लोकसभा चुनाव के वक्त से ही विपक्ष इसे मुद्दा बनाए हुए था। इंडिया ब्लॉक के पीएम फेस रहे राहुल गांधी तो अब तक कहते रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो वे पहला काम जाति जनगणना का करेंगे। जनगणना में जिसकी जितनी हिस्सेदारी होगी, उसी अनुपात में रिजर्वेशन का कानून बनाएंगे। राहुल तो यहां तक कहते रहे हैं कि जाति जनगणना के साथ वे रिजर्वेशन की सीमा को भी खत्म करेंगे।
लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना थी मुद्दा
लोकसभा चुनाव के दौरन विपक्ष ने जाति जनगणना को प्रमुख मुद्दों में शामिल किया था। बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सबसे पहले जाति जनगणना की पहल की थी। उन्होंने नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर पहले मुलाकात की थी। तब नीतीश एनडीए सरकार के मुखिया थे। नीतीश ने इस बाबत एक सर्वलीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली भेजा। चूंकि केंद्र सरकार ने पहले ही तकनीकी दिक्कत बता कर जाति जनगणना से मना कर दिया था, इसलिए बाद में आरजेडी के साथ सरकार चलाते वक्त नीतीश कुमार ने अपने खर्च से जाति सर्वेक्षण कराया। इस पर 500 करोड़ रुपये का भारी भरकम खर्च भी राज्य सरकार ने उठाया। सर्वेक्षण के आधार पर नीतीश सरकार ने रिजर्वेशन की सीमा बढ़ा कर 75 प्रतिशत कर दी। हालांकि रिजर्वेशन में वृद्धि पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। बिहार में विपक्ष इसे विधानभा चुनाव का मुद्दा बनाना चाहता था। पर, भाजपा ने विपक्ष की योजना पर पानी फेर दिया है।
कांग्रेस के हाथ से फिसल गया जाति का मुद्दा
पहले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जाति जनगणना को भुनाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वे सरकार बनने पर जाति जनगणना कराएंगे। उसी आधार पर रिजर्वेशन का नए सिरे से निर्धारण होगा। लोकसभा चुनाव के बाद जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए, वहां भी कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने जाति जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाया। झारखंड में विपक्षी गठबंधन की सरकार बनने पर अगले साल तक जाति सर्वेक्षण कराने की घोषणा हुई है। विपक्ष इस मुद्दे का लाभ आगे उठा न पाए, इसके लिए केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने बुधवार को जाति जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
बिहार चुनाव पर हो सकता है इसका असर
बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है। सभी दल अपने-अपने दांव से एक दूसरे को मात देने के प्रयास में जुटे हैं। राहुल गांधी ने बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण को फर्जी करार दिया है। उन्होंने फिर से जाति जनगणन कराने की बात कही है। हालांकि अब केंद्र ने इसका फैसला ले लिया है, इसलिए विपक्ष को शायद ही अब इसका कोई लाभ मिले। विपक्ष अब सिर्फ इसी बात पर इतरा सकता है कि उसके दबाव में ही पहले इनकार करने वाली केंद्र सरकार अब जाति जनगणना कराने पर राजी हुई है।