



देश की राजधानी दिल्ली मे सैकड़ों पाकिस्तानी अस्पतालों के पते पर वीजा बनवाकर भारत आ गए और सालों से यही रह रहे हैं. दुर्भाग्य ये है कि आप और हम बैंक में खाता खोलने जाएं या कार खरीदने जाएं तो हमसे प्रॉपर एड्रेस प्रूफ मांगा जाता है.
हजारों पाकिस्तानी भारत में कई साल से रह रहे थे और सरकार को पता ही नहीं था या जानबूझकर हम उन्हें पाल पोस रहे थे. निराशाजनक बात है कि पाकिस्तानी नेशनल्स को वीजा अस्पतालों के एड्रेस पर विदेश मंत्रालय दे रहा था. भारत का नागरिक बैंक में एकाउंट खोलने जाए, कार खरीदने जाए या ड्राइविंग लाइसेंस खरीदने जाए तो उससे एड्रेस प्रूफ मांगा जाता है. और जिन लोगों पर शक है कि वे भारत में कभी भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं उनके लिए खुला खेल फरुखाबादी चल रहा है. मतलब कि अस्पतालों के एड्रेस पर सालों से वो भारत में घूम रहे हैं और फिक्र किसी को नहीं है. क्या इसके लिए भी हम पाकिस्तान को दोष देंगे?