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स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाए सरकार, जब तक न हो खातों का ऑडिट: आतिशी का सीएम रेखा को सुझाव

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स्कूलों में फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाए सरकार, जब तक न हो खातों का ऑडिट: आतिशी का सीएम रेखा को सुझाव

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा को एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा है कि जब तक स्कूलों के खातों का पूरा ऑडिट न हो जाए, तब तक निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह बयान अभिभावकों की चिंताओं और लगातार हो रही फीस वृद्धि के बीच आया है।

फीस बढ़ोतरी पर लगाई जाए अस्थायी रोक: आतिशी

आतिशी का मानना है कि कई निजी स्कूल हर साल फीस में मनमानी बढ़ोतरी कर रहे हैं, जिससे माता-पिता पर आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि शिक्षा विभाग पहले स्कूलों के वित्तीय रिकॉर्ड का गहन ऑडिट कराए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फीस वृद्धि सही कारणों पर आधारित हो।

मुख्य बिंदु: आतिशी का सुझाव

  1. स्कूलों की पारदर्शिता जरूरी – फीस बढ़ाने से पहले स्कूलों को अपनी आय और खर्च का पूरा ब्यौरा सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।

  2. ऑडिट के बिना कोई बढ़ोतरी नहीं – जब तक ऑडिट नहीं हो जाता, फीस वृद्धि पर पूर्ण रोक लगाई जानी चाहिए।

  3. माता-पिता की राय भी हो शामिल – फीस ढांचे में बदलाव से पहले अभिभावकों की राय लेना भी अनिवार्य किया जाए।

  4. शिक्षा एक सेवा है, व्यापार नहीं – आतिशी ने दोहराया कि शिक्षा को व्यापार नहीं, बल्कि एक सामाजिक सेवा के रूप में देखा जाना चाहिए।

फीस वृद्धि पर क्यों उठ रही है आवाज?

बीते कुछ सालों में दिल्ली और अन्य राज्यों में निजी स्कूलों की फीस में लगातार वृद्धि देखने को मिली है। कोरोना महामारी के बाद भी स्कूलों ने डिजिटल सुविधाओं का हवाला देकर फीस बढ़ा दी, जिससे अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई। इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्री का यह कदम शिक्षा को अधिक न्यायसंगत और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।

सरकार का अगला कदम क्या होगा?

अब सभी की नजरें मुख्यमंत्री रेखा और दिल्ली सरकार पर टिकी हैं कि वे इस सुझाव पर क्या निर्णय लेते हैं। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे न केवल अभिभावकों को राहत मिलेगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।

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