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देवराला सती कांड: 36 साल पुराने मामले में सभी 8 आरोपी दोषमुक्त, विशेष अदालत का फैसला

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राजस्थान के कुख्यात देवराला सती कांड में 36 साल बाद बड़ी खबर आई है। एक विशेष अदालत ने इस ऐतिहासिक मामले में सभी 8 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। यह सती कांड 1987 में राजस्थान के सीकर जिले के देवराला गांव में घटित हुआ था, जब 18 साल की रोуп कनवार ने अपने पति की चिता पर सती होने का निर्णय लिया था।

इस घटना ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था, और इसके बाद महिलाओं के अधिकारों और सती प्रथा के खिलाफ कई कानून बनाए गए।

अदालत का निर्णय और 36 साल का लंबा इंतजार

विशेष अदालत ने सबूतों की कमी के आधार पर इस मामले के सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मामला 36 वर्षों से कानूनी प्रक्रिया में उलझा हुआ था। समय के साथ, गवाहियों में भी कमी आई और सबूतों की अपूर्णता ने भी इस निर्णय को प्रभावित किया।

सती कांड और इसके बाद का कानूनी बदलाव

इस सती कांड ने भारत में सती प्रथा को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी थी। घटना के बाद देशभर में सती प्रथा के खिलाफ आवाजें उठीं और इसे प्रतिबंधित करने के लिए सख्त कानून बनाए गए। 1987 में बने सती प्रिवेंशन एक्ट ने इस अमानवीय प्रथा को अवैध घोषित कर दिया और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान रखा।

न्यायालय का फैसला: सामाजिक और कानूनी प्रभाव

हालांकि, अदालत का यह निर्णय कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर रहा है। कुछ लोग इसे न्याय की जीत मान रहे हैं, जबकि अन्य इस पर सवाल उठा रहे हैं।

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